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Tears overturned by the agitating farmer movement, farmer leader Rakesh Tikat cried after the tractor rally violence

आंसुओं ने पलट दी दम तोड़ रहे किसान आंदोलन की बाजी, ट्रैक्टर रैली हिंसा के बाद रोए थे किसान नेता राकेश टिकैट

नई दिल्लीः 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए उपद्रव और लालकिले की घटना के बाद दम तोड़ रहे किसान आंदोलन को राकेश टिकैत के आंसुओं ने एक बार फिर जिंदा कर दिया है। अपने आंसुओं के दम पर ही राकेश टिकैत सारे अन्य नेताओं को दरकिनार कर किसान आंदोलन के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी उनकी आंखों में आंसू देख कर तीखी प्रतिक्रिया हुई है और किसान आंदोलन पहले से भी ज्यादा धारदार हो गया है। इस प्रकरण से समझा जा सकता है कि आंसुओं में कितनी ताकत होती है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को वैसे भी आंखों में आंसू देखना बर्दाश्त नहीं है। यही कारण है कि राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देखने के बाद मुजफ्फरनगर में किसानों की बड़ी पंचायत हुई और आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया गया। पंचायत में पुराने सारे मतभेदों को भुलाकर सभी से एक मंच पर एकजुट होने का आह्वान किया गया और किसान आंदोलन को और धारदार बनाने का फैसला किया गया। यह पहला मौका नहीं है जब आंसुओं ने बाजी पलट दी है बल्कि इसके पहले भी कई ऐसे मौके आए जब आंखों में आए आंसुओं ने हाथ से निकलती बाजी अप्रत्याशित रूप से पलट दी।